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बिलासपुर
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में अनुसूचित जाति, जनजाति अन्य पिछड़े वर्गों के
लिए आरक्षण संशोधन अधिनियम 2011-2012 को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस
मामले की सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से बताया गया कि आरक्षण का प्रकरण
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए जवाब के लिए समय मांगा गया। इस पर कोर्ट
ने प्रकरण की सुनवाई अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है।
गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति एकेडमी की ओर से अध्यक्ष व सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर केसी खांडे ने अधिवक्ता मीना शास्त्री के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसके साथ ही आरक्षण को लेकर 17 अन्य याचिकाएं प्रस्तुत की गई हैं। इसमें राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ लोक सेवा अनुसूचित जाति, जनजाति अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण संशोधन अधिनियम 2011-2012 को चुनौती दी गई है। याचिका में बताया गया है कि अनुसूचित जाति का आरक्षण को कम कर 12 फीसद कर दिया गया है।
जबकि उन्हें पहले 16 फीसद आरक्षण मिल रहा था। इसी तरह अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को बढ़ाकर 20 से 32 फीसद कर दिया गया है। जबकि ओबीसी का आरक्षण पूर्ववत 14 फीसद है। याचिका में बताया गया है कि आरक्षण बढ़ाए जाने के बाद अब कुल आरक्षण का प्रतिशत बढ़कर 58 फीसद हो गया है। जबकि किसी भी स्थिति में 50 फीसद से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता। इस मामले की सुनवाई बीते सोमवार को होनी थी।
प्रकरण में बहस करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डा. केएस चौहान पहुंचे थे। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोई भी अधिवक्ता सुनवाई में शामिल हो पाते इससे पहले ही शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित होकर आरक्षण के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले की जानकारी दी। साथ ही इस प्रकरण में जवाब के लिए समय ले लिया। लिहाजा प्रकरण की सुनवाई अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई है।
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